CLASS 7 SCIENCE CHAPTER 2 | NUTRITION IN HUMAN BEING | DIGESTIVE SYSTEM MEANING IN HINDI

यह article से  केवल student ही नहीं, ईछुक व्यक्ति भी ज्ञान हासिल कर सकेंगे। NCERT Class 7 science chapter 2 का टॉपिक है Nutrition in Animals।  यह टॉपिक का एक part है NUTRITION IN HUMAN BEING। तो इस आर्टिकल से हम पढ़ेंगे मनुष्य शरीर मे पोषण और डाइजेस्टिव सिस्टम यानी पाचन तंत्र के बारे में।  चलिए शुरू करते हैं। 

पहले हम थोड़ा न्यूट्रिशन के बारे में जान लेते हैं। Nutrition  एक  प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत पोषक तत्वों (Nutrients) की आवश्यकता, आहार ग्रहण करने की विधि (Ways of taking food by the body) और शरीर में  पोषक तत्वों के उपयोग की प्रणाली ( How does the body utilize nutrients) आता है। 

मनुष्य द्वारा आहार ग्रहण करने की विधि (way of taking food by human)

जैसे कि हम जानते हैं मनुष्य एक विषमपोषी प्राणी (Heterotroph) है। मनुष्य  आहार के लिए दूसरे जीवो के ऊपर निर्भर करता है। मुख्यतः  मनुष्य आहार को चबाकर खाता है। मानव शिशु मां का दूध पीता है (sucking)। यानी मनुष्य खाद्य ग्रहण मुख (Mouth) से करता है।

Heterotrophic और autotrophic पोषण के बारें मे ज्यादा पढ़ें। 

पाचन की आवश्यकता क्या है (why is digestion important)

आपने कभी सोचा है,  डाइजेशन यानी पाचन शरीर के लिए क्यों इतना आवश्यक है?

चलिए  जानते हैं। 

हम यह जानते हैं कि भोजन कई प्रकार के पोषक तत्व (Nutrients) से बनी है। जैसे कि कार्बोहाइड्रेट,  विटामिन,  प्रोटीन,  वसा, मिनरल्स इत्यादि। यह सब जटिल पदार्थ होते हैं। इसलिए शरीर इनका उपयोग सीधे इसी रूप से नहीं कर पाता। 

तो शरीर में जटिल पदार्थ को सरल पदार्थ में परिवर्तन करना  यानी तोड़ना आवश्यक है। यह तोड़ने वाली प्रक्रिया को पाचन यानी Digestion  कहते हैं। डाइजेस्टिव सिस्टम की महत्व यहीं से शुरू होता है। शरीर में पाचन करने वाली सिस्टम को डाइजेस्टिव सिस्टम यानी पाचन तंत्र कहा जाता है।

Digestive System In Hindi| मानव पाचन तंत्र | class 7 science chapter 2

मनुष्य का पाचन तंत्र पाचन नली (Alimentary Canal or Digestive Tract) और कुछ ग्रंथियां (Glands) से मिलकर बना है।

चलिए फिर हम इस आहार नली और ग्रंथियों के बारे में जानते हैं।

मानव पाचन तंत्र के प्रमुख भाग कौन कौन से हैं? 

मनुष्य आहार मुख द्वारा ग्रहण करता है। आहार  एक  निरंतर नली से गुजरता है। इसको पाचन नली (Alimentary Canal or Digestive tract) कहते हैं।  पाचन नली का प्रथम भाग मुख-गृहिका और अंतिम भाग मलद्वार यानि गुदा होता है। आहार ईश नली से गुजरते गुजरते हजम हो जाता है। आखिरकार हजम ना होने वाली अवशेष मल के रूप में मलद्वार (Anus) से  निष्कासित हो जाता है। 

पाचन नली के अंग | Alimentary Canal Organs

  • मुख गृहिका (Buccal Cavity)
  • ग्रास नली या ग्रसिका (Food Pipe or Oesophagus)
  • आमाशय (Stomach)
  • छोटी आँत (Small intestine)
  • बड़ी आँत (Large intestine) – मलाशय (rectum) से जुड़ी होती है 
  • मलद्वार (Anus)

ध्यान दें : आहार मुख गृहिका से प्रवेश करते हुए ग्रास नली, ग्रास नली से आमाशय, आमाशय से छोटी आँत, छोटी आँत से बड़ी आँत, और फिर मलाशय से गुजरते हुए मलद्वार तक पहुँच जाता है। मलद्वार से निस्कासित होनेवाला मल अप्रयुक्त पदार्थ होता हे।

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पाचन तंत्र से जुड़ी ग्रंथियां (glands of digestive system)

  • लाला ग्रंथिया (Salivary glands) 
  • यकृत (Liver) 
  • अग्न्याशय (Pancreas)

भोजन का पाचन कैसे होता है?

Stomach का आंतरिक भाग, छोटी आँत और पाचन ग्रंथियां  भिन्न-भिन्न पाचक रस निकालते हैं।  यही पाचक रस आहार की जटिल पदार्थ को सरल पदार्थ में परिवर्तन कर देते हैं। इसी प्रकार भोजन का पाचन हो जाता है। 

चलिए अव मानव पाचन तंत्र के उपरोक्त भागों और उनके कार्यों के बारे में जानते हैं। 

मुख तथा मुख-गृहिका क्या है? मुख गृहिका का कार्य

मुख द्वारा भोजन शरीर के अंदर प्रवेश करता है। भोजन को शरीर के अंदर लेने  की क्रिया अंतग्रहन यानि Ingestion कहलाती है। 

मुख से आहार प्रवेश करके मुख-गृहिका मे पहुँचता है। मुख-गृहिका मे भोजन का पाचन सुरू हो जाता है।

हमारी मुख-गृहिका के 3 मुख्य भाग होता है। 

दाँत (Teeth), जीभ (Tongue), लाला ग्रंथिया (Salivary Glands)

दाँत (Teeth):

हम भोजन को दाँतों से चवाते हैं और उसके छोटे छोटे टुकड़े कर देते हैं।

हमारी दाँत मुख्यतः 4 प्रकार के होते हैं। जिनकी आकार और कार्य अलग अलग होता है। 

  1. दाढ दांत अथवा चवर्णक दांत (Molar Teeth)
  2. अग्रचवर्णक दांत (Premolar Teeth) 
  3. रदनक दांत (Canine Teeth) 
  4. कृंतक दांत (Incisor Teeth) 

दांतों के प्रकार एवं उनके कार्य (Types of teeth and their function)

दांतों के प्रकार दांतों के कार्य दांतों के संख्या
कृंतक दांत काटना और दंशन करना निचला जबड़ा में 4 एवं ऊपरी जवडा में
रदनक दांत चीरना और फाड़ना  निचला जबड़ा में 2 एवं ऊपरी जवडा में 2 
अग्रचवर्णक दांत भोजन को कुचलना  निचला जबड़ा में 4 एवं ऊपरी जवडा में
चवर्णक दांत भोजन को पीसना  निचला जबड़ा में एवं ऊपरी जवडा में 6

लाला ग्रंथिया (Salivary Glands):

हमारे मुख-गृहिका में कुछ लाला ग्रंथिया या लार ग्रंथिया होता है। ये ग्रंथिया लार (Saliva) स्रावित करता है। यही लार ही भोजन में मौजूद स्टार्च को शर्करा यानि Sugar जैसे सरल पदार्थ में बदल देता है। 

मतलब भोजन की पाचन क्रिया मनुष्य की मुख में ही शुरू हो जाता है।

जीभ (Tongue):

जीभ एक मांसल पेशीय अंग होता है। यह मुख की पीछे की ओर मुख-गृहिका की अधर तल से जुड़ा होता है। 

जीभ का अग्र भाग free होता है एबं हर दिशा में मूड सकता है। आपने महसूस किया होगा की जीभ का अग्र भाग हमारी दाँतों को छूता है। 

जैसा कि हमने जाना जीभ  किसी भी दिशा में मुड़ जाता है तो खाने के समय यह भोजन के साथ लार को मीलाने का काम करता है।  और यह हमें भोजन को निगलने में भी सहायता करता है। 

हम बोलने के लिए भी जीव का इस्तेमाल करते हैं। 

जीभ पर स्वाद के विभिन्न भाग होते हैं जिसके द्वारा हमें भोजन का स्वाद पता चलता है। 

ग्रास नली या ग्रसिका क्या है? ग्रास नली का कार्य

Food pipe यानि ग्रास नली हमारी गला एबं छाती से होती हुई  आमाशय (stomach) तक जाती है। इसका मुख्य काम निगला हुआ भोजन को stomach तक भेजना होता है। ग्रास नली का संकुचन से भोजन नीचे की ओर सरकते हुए stomach मे पहुँच जाता है। 

कभी कभी हमारा stomach खाए हुए भोजन को स्वीकार नहीं कर पाता है। जिससे खाना vomiting से बाहर निकल जाता है। 

क्या आपको पता है vomiting यानि उल्टी क्यूँ होता है?

वमन यानि उल्टी के कई कारण हो शकता है। stomach infection, food poisoning, बदहजमी जैसे कई कारणों से हमे उल्टी होती है। ज्यादा उल्टी होने पर हमे doctor की सलाह लेनी चाहिए। 

कभी कभी जल्दी खाने के समय , या फिर खाने के समय बात करने पर, हमे हिचकि आती है अथवा घुटन का अनुभव होता है। ये तव होता हे जव भोजन का कुछ हिस्सा हमारी स्वास नली मे चला जाता है। 

स्वास नली और ग्रास नली पास पास होता है। भोजन और हवा केलिए गले के अंदर एक ही रास्ता होता है। पर खाने के समय एक मांसल flap जैसा संरचना स्वास नली के द्वार को ढक देता है। और भोजन ग्रास नली से बड़े आराम से गुजर जाता है। 

इसिलए कहते हैं खाने के समय बात नहीं करनी चाहिए। नहितो खाना हमारी गले मे अटक शक्ति है।

आमाशय क्या है? आमाशय का कार्य

stomach हमारी ऐलमेन्टरी कनाल यानि पाचन नली का सबसे चौड़ा भाग होता है। आमाशय एक मोटी भित्ति वाली थैली है। 

इश्का एक हिस्सा ग्रास नली के साथ जुड़ा होता है और दुशरा हिस्सा छोटी आँत के साथ। 

आमाशय का आंतरिक सतह 3 तरह का पदार्थ स्रावित करता है। 

श्लेष्मल (Mucous), हैड्रोक्लोरीक अम्ल (hydrochloric acid), पाचक रस (digestive juice)

श्लेष्मल आमाशय की आंतरिक सतह की सुरक्षा करता है।

हैड्रोक्लोरीक अम्ल भोजन मे मौजूद हानी कारक जीवाणु को नष्ट करता है। इसके इलवा भोजन को अम्लीय वनाता है जिसे पाचक रस का काम सरल हो जाता है। 

पाचक रस प्रोटीन को सरल पदार्थों मे बिभाजन करदेता है। जिससे आगे चल कर छोटी आँत में यह एमीनो अम्ल मे परिवर्तित हो जाता है। 

छोटी आँत क्या है? छोटीआँत का कार्य

Small intestine एक अत्यंत कुंडलित नली होता है। इसकी लंबाई लगभग 7.5 मिटर होती है। यह पाचन तंत्र की सबसे लंबा भाग है। इसका अन्य नाम क्षुद्रांत्र है। 

छोटी आँत की आंतरिक सतह एक रस स्रावित करता है। उसके साथ साथ यह यकृत (liver) एबं अग्न्याशय (pancreas) से भी अलग अलग रस प्राप्त करता है। जिससे भोजन का पाचन क्रिया छोटी आँत मे ही पूरा होता है। 

liver एबं pancreas क्या है?

Liver क्या है? पाचन में liver की भूमिका

Liver का हिन्दी meaning यकृत या जिगर होता है। यकृत मनुष्य शरीर का सबसे वडा ग्रन्थि है। यह लाल भूरे रंग की ग्रन्थि है, जो उदर-गह्वर मे दाहिनी ओर, उदर के ऊपर मौजूद होता है। यह एक हरा-पीला रंग का juice स्रावित करता है, जिसको bile juice यानि पित्त रस कहते हैं। 

पित्त रस वसा(fat) को हजम करने मे उपयोगी होता है। यकृत से स्रावित पित्त रस एक हरा रंग की थैली में जमा रहता है। हरा रंग की थैली का नाम gallbladder यानि पित्ताशय है।

अग्न्याशय (pancreas) क्या है? पाचन में अग्न्याशय की भूमिका

pancreas एक हल्के पीले रंग का बड़ी ग्रन्थि है। यह आमाशय की नीचे अवस्थित होती है। अग्न्याशय से स्रावित अग्न्याशयिक रस कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और वसा को सरल पदार्थ मे परिवर्तन करता है। 

आंशिक रूपसे पचा भोजन ढकेल ते हुए छोटी आँत की निचली हिस्से मे पहुँच जाता है। जहां पर सारे पोषक तत्व का digestion पूरा हो जाता है, जिसमे आँत रस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। 

आखिरकार carbohydrate सरल सर्करा जैसे ग्लूकोस मे, वसा ग्लिसरल और वसा-अम्ल मे एबं प्रोटीन एमीनो अम्ल (amino acid) जैसे सरल पदार्थ मे परिवर्तित हो जाता है। 

इन सरल पदार्थों का क्या होता है? क्या आपको पता है?

छोटीआँत के आंतरिक सतह से इन सरल पदार्थों का अवशोषण (absorption) होता है। छोटीआँत के आंतरिक सतह पर बहुत सारी उंगली के समान उभरी हुई structure होता है, जिन्हे Villi यानि दीर्घरोम कहते हैं। 

यह दीर्घरोम का सतह पचे हुए भोजन यानि सरल पदार्थों का अवशोषण करता है। 

यह अवशोषित पदार्थ हमारे शरीर के बिभिन्न अंग तक रक्त बहिकायों द्वारा पहुँच जाता है। जहां शरीर केलिए जटिल पदार्थों को निर्माण किया जाता है। ईश प्रक्रिया को स्वांगीकरण (assimilation) कहते हैं। 

बड़ीआँत क्या है? बड़ीआँत का कार्य

बड़ीआँत यानि बृहदांत, छोटीआँत के मुकावले चौड़ी और छोटी होती है। इसकी लंबाई लगभग 1.5 मीटर है। 

बच हुआ अपचित भोजन क्षुद्रांत्र से बृहदांत आता है। बृहदांत का आंतरिक सतह अपचित भोजन से जल एबं कुछ लबणों का अवशोषण करता है। 

बचा हुआ अपचित पदार्थ rectum यानि मलाशय मे चला जाता है, और मल के रूप मे रहता है।

मलद्वार क्या है? मलद्वार का कार्य

Anus यानि मलद्वार(गुदा) पाचननली का अंतिम भाग है। जब मलाशय भर जाता है, हमारा शरीर मल त्याग करने की इच्छा महसूस करता है। तभी गुदा की आंतरिक माँसपेसि मल को गुदा से बाहर निकाल देता है। ईश प्रकम को Egestion यानि निष्कासन कहते हैं। 

आपने ईश आर्टिकल से मनुष्य की पाचन तंत्र यानि digestive system के बारें मे पढ़ा। यह ncert class 7 chapter 2 science का भाग है। आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल से काफी ज्ञान मिला होगा। 

आप अपने दोस्तों को ईश आर्टिकल जरूर शेयर करें। तभी मुझे भविष्य मे एसी आर्टिकल लिखने केलिए motivation मिलेगा। कुछ प्रश्न अथवा सुझाव है तो जरूर comment करें। Article पढ़ने केलिए आपका धन्यवाद। 

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